🙏 आज का हिन्दू पंचांग 🙏

🐍 *जय श्री हरिराम बाबा की*🐍

सरदारशहर एक्सप्रेस। गुरुवार के दिन हल्दी के गांठ की माला बनाकर उसे गणपति बप्पा को चढ़ाएं. ऐसा करने से काम में आ रही रूकावट खत्म हो जाती है और काम बनते हैं. हल्दी की गांठ को लाल कपड़े में बांध कर तिजोरी में रखने से लक्ष्मी मां प्रसन्न होती हैं. इस उपाय से घर में धन से योग और आगमन के रास्ते बनते हैं

 🌤️ *दिनांक – 11 जनवरी 2024*

🌤️ *दिन – गुरुवार*

🌤️ *विक्रम संवत – 2080*

🌤️ *शक संवत -1945*

🌤️ *अयन – दक्षिणायन*

🌤️ *ऋतु – शिशिर ॠतु* 

🌤️ *मास – पौष ( गुजरात और महाराष्ट्र अनुसार मार्गशीर्ष)*

🌤️ *पक्ष – कृष्ण* 

🌤️ *तिथि – अमावस्या शाम 05:26 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*

🌤️ *नक्षत्र – पूर्वाषाढा शाम 05:39 तक तत्पश्चात उत्तराषाढा*

🌤️ *योग – व्याघात शाम 05:49 तक तत्पश्चात हर्षण*

🌤️ *राहुकाल – दोपहर 01:58 से शाम 03:16 तक*

🌄 *अभिजीत मुहुर्त*-12:19से 01:01 तक

🌞 *सूर्योदय-07:27*

🌤️ *सूर्यास्त- 17:52*

👉 *दिशाशूल – दक्षिण दिशा में*

चोघडिया, दिन

*शुभ 07:27 – 08:45 शुभ*

रोग 08:45 – 10:04 अशुभ

उद्वेग 10:04 – 11:22 अशुभ

*चर 11:22 – 12:40 शुभ*

*लाभ 12:40 – 13:58 शुभ*

*अमृत 13:58 – 15:16 शुभ*

काल 15:16 – 16:34 अशुभ

*शुभ 16:34 – 17:53 शुभ*

🚩 *व्रत पर्व विवरण- दर्श अमावस्या,पौष अमावस्या*

💥 *विशेष – अमावस्या व व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

   

👉🏻 *पुराणो के अनुसार मकर संक्रांति पर इन विशेष मंत्रो का जप जरूर करे | पुण्य काल कब से कब तक संपूर्ण जानकारी*⤵️

🌷 *मकर संक्रांति* 🌷

🧵 *सक्रांति का वास धोबी के घर*🧵

*नाम-घोरा,आदिवासी*

फल-मध्यफल

🐎 *वाहन-घोड़ा*

🐅 *उपवाहन-सिंह*

 

🙏🏻 *आत्मोद्धारक व जीवन-पथ प्रकाशक पर्व – मकर संक्रांति (15 जनवरी 2024 सोमवार को पुण्यकाल सूर्योदय से सूर्यास्त तक )*

🌞 *जिस दिन भगवान सूर्यनारायण उत्तर दिशा की तरफ प्रयाण करते हैं, उस दिन उतरायण (मकर संक्रांति) का पर्व मनाया जाता है | इस दिन से अंधकारमयी रात्रि कम होती जाती है और प्रकाशमय दिवस बढ़ता जाता है | उत्तरायण का वाच्यार्थ है कि सूर्य उत्तर की तरफ, लक्ष्यार्थ है आकाश के देवता की कृपा से ह्दय में भी अनासक्ति करनी है | नीचे के केन्द्रों में वासनाएँ, आकर्षण होता है व ऊपर के केन्द्रों में निष्कामता, प्रीति और आनंद होता है | संक्रांति रास्ता बदलने की सम्यक सुव्यवस्था है | इस दिन आप सोच व कर्म की दिशा बदलें | जैसी सोच होगी वैसा विचार होगा, जैसा विचार होगा वैसा कर्म होगा | हाड-मांस के शरीर को सुविधाएँ दे के विकार भोगकर सुखी होने की पाश्चात्य सोच है और हाड-मांस के शरीर को संयत, जितेन्द्रिय रखकर सदभाव से विकट परिस्थितियों में भी सामनेवाले का मंगल चाहते हुए उसका मंगलमय स्वभाव प्रकट करना यह भारतीय सोच है |*

*सम्यक क्रांति…. ऐसे तो हर महिने संक्रांति आती है लेकिन मकर संक्रांति साल में एक बार आती है | उसीका इंतजार किया था भीष्म पितामह ने | उन्होंने उत्तरायण काल शुरू होने के बाद ही देह त्यागी थी |*

*पुण्यपुंज व आरोग्यता अर्जन का दिन*

🌞 *जो संक्रांति के दिन स्नान नहीं करता वह ७ जन्मों तक निर्धन और रोगी रहता है और जो संक्रांति का स्नान कर लेता है वह तेजस्वी और पुण्यात्मा हो जाता है | संक्रांति के दिन उबटन लगाये, जिसमे काले तिल का उपयोग हो |*

🌞 *भगवान सूर्य को भी तिलमिश्रित जल से अर्घ्य दें | इस दिन तिल का दान पापनाश करता है, तिल का भोजन आरोग्य देता है, तिल का हवन पुण्य देता है | पानी में भी थोड़े तिल डाल के पियें तो स्वास्थ्यलाभ होता है | तिल का उबटन भी आरोग्यप्रद होता है | इस दिन सुर्योद्रय से पूर्व स्नान करने से १० हजार गौदान करने का फल होता है | जो भी पुण्यकर्म उत्तरायण के दिन करते हैं वे अक्षय पुण्यदायी होते हैं | तिल और गुड के व्यंजन, चावल और चने की दाल की खिचड़ी आदि ऋतु-परिवर्तनजन्य रोगों से रक्षा करती है | तिलमिश्रित जल से स्नान आदि से भी ऋतु-परिवर्तन के प्रभाव से जो भी रोग-शोक होते हैं, उनसे आदमी भिड़ने में सफल होता है |*

🌞 *सूर्यदेव की विशेष प्रसन्नता हेतु मंत्र*

*ब्रम्हज्ञान सबसे पहले भगवान सूर्य को मिला था | उनके बाद रजा मनु को, यमराज को…. ऐसी परम्परा चली | भास्कर आत्मज्ञानी हैं, पक्के ब्रम्ह्वेत्ता हैं | बड़े निष्कलंक व निष्काम हैं | कर्तव्यनिष्ठ होने में और निष्कामता में भगवान सूर्य की बराबरी कौन कर सकता है ! कुछ भी लेना नहीं, न किसी से राग है न द्वेष है | अपनी सत्ता-समानता में प्रकाश बरसाते रहते हैं, देते रहते हैं |*

🌞 *‘पद्म पुराण’ में सूर्यदेवता का मूल मंत्र है : ॐ ह्रां ह्रीं स: सूर्याय नम: | अगर इस सूर्य मंत्र का ‘आत्मप्रीति व आत्मानंद की प्राप्ति हो’ – इस हेतु से भगवान भास्कर का प्रीतिपूर्वक चिंतन करते हुए जप करते हैं तो खूब प्रभु-प्यार बढेगा, आनंद बढेगा |*

🌞 *ओज-तेज-बल का स्त्रोत : सूर्यनमस्कार*

*सूर्यनमस्कार करने से ओज-तेज और बुद्धि की बढ़ोत्तरी होती है | ॐ सूर्याय नम: | ॐ भानवे नम: | ॐ खगाय नम: ॐ रवये नम: ॐ अर्काय नम: |….. आदि मंत्रो से सूर्यनमस्कार करने से आदमी ओजस्वी-तेजस्वी व बलवान बनता है | इसमें प्राणायाम भी हो जाता है, कसरत भी हो जाती है |*

*सूर्य की उपासना करने से, अर्घ्य देने से, सूर्यस्नान व सूर्य-ध्यान आदि करने से कामनापूर्ति होती है | सूर्य का ध्यान भ्रूमध्य में करने से बुद्धि बढती है और नाभि-केंद्र में करने से मन्दाग्नि दूर होती है, आरोग्य का विकास होता है |*

🌞 *आरोग्य व पुष्टि वर्धक : सूर्यस्नान*

*सूर्य की धूप में जो खाद्य पदार्थ, जैसे-घी, तेल आदि २ – ४ घंटे रखा रहे तो अधिक सुपाच्य हो जाता है | धूप में रखे हुए पानी से कभी –कभी स्नान कर सकते हैं | इससे सूखा रोग (Rickets) नहीं होता और रोगनाशिनी शक्ति बरक़रार रहती है ।