
सरदारशहर एक्सप्रेस। गुरू पूर्णिमा के अवसर पर फ्रेन्डस फाँरेवर सोसायटी द्वारा सेठ संपतराम दूगड उमावि के प्रांगण में गुरु वंदना कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इससे पूर्व सोसायटी द्वारा बालमंदिर से गुरूजनों को बैंडबाजों के साथ भव्य जुलूस के साथ पुष्प वर्षा करते हुए समारोह स्थल लाया गया। जहां सभी गुरूजनों का तिलकार्चन कर मालाऐ पहना कर साफा, शाँल आँढा कर उपहार भेंट किये गये। बंद हुए इस दूगड विद्यालय को पुनः शुरू करवाने का आह्वान किया गया। 1950से जारी इस विद्यालय को लोकडाउन में बंद कर दिया गया था। इस विद्यालय के1998 बैच के 100 से अधिक छात्रों द्वारा गुरु पूर्णिमा पर 40 गुरूजनों का सम्मान किया और शहर के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित विद्यालय को पुनः शुरू करवाने पर सभी ने एक स्वर में आवाज उठाई। इस अवसर पर गुरू रामप्रसाद पारीक ने कहा कि गुरु शिष्य का संबंध आत्मा से होता है गुरू शिष्य की भलाई के लिए कठोर शब्दों और कडाई भी करते थे जिससे शिष्य का भविष्य उज्ज्वल हो और संस्कार दिये जाते थे।
लेकिन आज गुरु के स्थान पर सर हो गये जो बच्चों को पढाते जरूर है लेकिन वे संस्कार नही दे पा रहे हैं। संस्कार से ही हमारी संस्कृति बचेगी और राष्ट्र प्रगति करेगा। आज हमें अत्यंत खुशी हो रही है कि हमारे द्वारा शिक्षा के साथ दिये गये संस्कार फलिभूत हो रहे हैं। हमें आगे भी यह प्रयास करने होंगे कि हमारी भावी पीडि को भी संस्कारवान बनाया जाए जिससे हमारी संस्कृति सुरक्षित रहे। इस अवसर पर गुरू रामप्रसाद, योगेशजी, दिलिपजी, राजेशजी, राजकुमारजी, नौरतनजी, निर्मलजी, रामनिरंजनजी, विपुलजी, मोतीलालजी, रुपदानजी, गोविंदसिंह सहित स्वः गुरूजनो के परिवार को भी सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का संयोजन संस्था अध्यक्ष प्रसन्न धूत, सचिव राजन जांगिड़, संरक्षक रोहित स्वामी, कोषाध्यक्ष राजेश पारीक, विजय चौधरी,नंदलाल, मनस्वी, महावीर, अमित, गौरीशंकर, मनोज, रतन, कपिल, अशोक, सीताराम, प्रकाश, संपतराम जांगिड़ एवं संचालन धीरज शेखावत, छत्रमोहन शर्मा, मृत्युंजय पारीक ने किया।