सरदारशहर एक्सप्रेस। उपखंड तहसील के गांव मेहरासर चाचेरा में स्व. नंदराम पाण्डिया परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में श्रीकृष्ण रुकमणी विवाह प्रसंग की व्याख्या करते हुए कथावाचक पं.सत्यनारायण पारीक ने कहा कि पाणिग्रहण मानव जीवन का एक प्रमुख संस्कार है एवं गृहस्थ धर्म का पालन किसी तपस्या से कम नहीं। दो अनजाने व्यक्ति विवाहोपरांत जीवन भर साथ रहने का संकल्प लेते हैं एवं अपने अपने दाम्पत्य धर्म का पालन करते हुए अपने परिवार का पोषण एवंं संस्कारित समाज का निर्माण करते हैं। इस सप्तदिवसीय कथा के छठे दिन पांडव कृष्ण मिलन, युधिष्ठिर द्वारा राजसूय यज्ञ, शिशुपाल वध, जरासंध वध,भगवान कृष्ण के अन्य विवाहों का वर्णन, गृहस्थी जीवन के नियम आदि प्रसंगों की भी सविस्तार व्याख्या की गई। मेहरासर चाचेरा के अलावा बरलाजसर, अड़मालसर, राणासर बिकान सहित कई निकटवृति गांवों से बड़ी संख्या में महिला पुरुष कथा श्रवण हेतु पहुंचे। दुर्गाराम पारीक, पं. शिवकांत पारीक, पवन पारीक, केदारमल, गणपतराम, इंद्राज, परमेश्वरलाल, देवीलाल, तोलाराम, कैलाश देरासरी, देवीदत्त जोशी, जगदीश सिंह, लाधुराम जाट, रघुनाथ पाण्डिया, बृजलाल पांडिया, पवन पारीक, भगवानाराम जाट आदि गणमान्यजनों ने उपस्थित होकर श्रीकृष्ण रुकमणी की आरती उतारी।